राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रजप्रांत की सामाजिक सदभाव प्रमुखों की बैठक
हम समाज में परिवर्तन और श्रेष्ठ आचरणों के निर्माण का कार्य कर रहे हैं-श्री मोहन जी भागवत
आगरा। भारत की संस्कृति परमार्थ, सेवा एवं सद्भाव की संस्कृति रही है। हम सभी आपस में मिलकर एक दूसरे को सहयोग करते हुए भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवनयापन करते हुए समन्वय स्थापित करें, इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज को सदभाव के सूत्र में पिरोकर राष्ट्र को परम वैभव के शिखर पर ले जाने की लिए दृढ संकल्पित है।
इसी सम्यक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रजप्रांत के सामाजिक सद्भावना प्रमुखों की बैठक का आयोजन बिचपुरी के आरबीएस काॅलेज कैंपस में किया गया। बैठक में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प.पू. सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत का मार्गदर्शन बैठक में उपस्थित सभी बंधुओं को प्राप्त हुआ।
बैठक में उपस्थित बंधुओं को संबोधित करते हुए प.पू. सरसंघचालक श्री मोहन जी भागवत ने व्यक्ति-व्यक्ति में राम जगे, नीति निपुण धनश्याम जगे, सुक्ति का प्रयोग करते हुए कहा कि हम सभी समाज में परिवर्तन और श्रेष्ठ आचरणों के निमार्ण के लिए कार्य कर रहे हैं। समाज परिवर्तन का यह यह महान कार्य है और समस्त समाज का आचरण बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा कार्य सकारात्मक तथा धर्मनीत है। संवेदना, बंधुभाव उत्पन्न करना हमारा कार्य है। व्यक्ति आपस में एक दूसरे का सहयोग करें, अपनी-अपनी जाति बिरादरी में भेदभाव करने वालों को विफल करना, ऐसी हमारी योजना होनी चाहिए। प.पू. जी ने कहा कि समाज में कुछ लोग खाइयों को चैड़ा कर रहे हैं तथा देश को तोड रहे हैं। ऐसे समय में हमारा दायित्व और भी बढ़ जाता है। संघ व्यक्ति निर्माण कर रहा है। अच्छे लोग तैयार हो रहे हैं। समाज में कुरीतियों रूढ़ियों से मुक्ति कराने का प्रयास करना। सरसंघचालक जी ने कहा कि विवाह में फिजूल खर्ची न हो, ऐसे विषयों के लिए समाज को तैयार करना। शिक्षा में सहयोग करना तथा अन्य समाज को अच्छे उद्देश्यों को तैयार करना ही सामाजिक सद्भाव के कार्यकर्ता का उद्देश्य है। समाज में दहेज रहित विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। ऐसे सभी उपायों को करने हेतु समाज को तैयार करके राष्ट्र को सबल, सक्षम, बनाने का कार्य हम सभी को करना है। बैठक में ब्रजप्रांत के 200 सामाजिक सद्भाव प्रमुखों की सहभागिता रही।